कोरोना के बाद दोस्तों का पहला सफर और जंगल के पास रात को दिखा खौफनाक


तीन दोस्त इस वक्त जब अपनी गाड़ी से घूमने के लिए निकले थे कोरोना की वजह से लॉकडाउन और फिर काफी समय उन्होंने साथ में नहीं बिताया था. तो अभी सोचा कि थोड़ा घूम फिर कर आ जाया जाए. तीनों ने एक रात पहले ही तय कर लिया और आज निकल पड़े. कोई hill station था, नाम था Thapora Hill Station. वो खासकर tracking और प्राकृतिक प्रेमियों के लिए जाना जाता था.

यह बहुत ही सुंदर और शांत जगह थी और वो तीनों दोस्त भी ऐसी ही जगह की तलाश में थे जहाँ पर शांति हो, थोड़ा सुकून हो. तीनों देर रात ही अपनी car से इस hill station के लिए निकल पड़े थे. लेकिन रास्ते में ही गाड़ी चलाते हुए बहुत टाइम हो गया था और वो लोग थक गए थे. नींद सताने लगी थी.

इस वजह से उन्होंने रात को कहीं रुकने का फैसला किया. फिर उस सुनसान रास्ते पर कुछ दिखाई भी तो नहीं दे रहा था. थोड़ा सा आगे चलने पर एक resort दिखाई दिया जो वहाँ सुनसान जगह पर बस एक ही था. उन्होंने सोचा कि रात को यहाँ रुक जाते हैं, फिर सुबह निकलते हैं Thapora के लिए.

ऐसा सोचकर वो लोग वहाँ पर गए और एक कमरा किराए पर ले लिया. रात भर वही आराम किया. जब वो लोग सुबह उठे तो देखा कि वो जगह भी काफी अच्छी थी. तो तीनों ने सोचा कि यहाँ पर भी थोड़ा सा घूम फिर लिया जाए आज यहीं ठहर जाते हैं.

उन्होंने तय किया कि आज इस resort के आसपास ही घूमेंगे और कल फिर Thapora Hills Station के लिए निकल जाएंगे. यह सोचकर वो तीनों वहीं पर रुक गए. फिर तैयार होकर वहाँ घूमने के लिए निकल पड़े. उन्होंने दिनभर resort के आसपास का इलाका एक्सप्लोर किया.

घूमते फिरते वो लोग शाम तक अपने resort पर आ चुके थे. उस resort में सिर्फ एक receptionist था और एक caretaker था. बाकी अन्य दो चार कर्मचारी थे जो काम करने वाले थे. रात को तीनों ने अपने program के तहत खाना पीना किया और फिर resort की तरफ से bone fire के मजे लिए.

अभी तीनों bone fire के आसपास बाहर के मैदान में बैठे हुए थे और आपस में बातें कर रहे थे. तभी अचानक से उनमें से एक दोस्त की नजर सामने काफी दूरी पर एक पेड़ पर पड़ी. उसने ध्यान से देखा तो उसे ऐसा लगा कि उस पेड़ के पीछे से कोई उन्हें घूर रहा है, जो उसे थोड़ा अजीब लगा.

उसने अपने दोस्तों से कहा, "यार, देखो तो वहाँ, ऐसा नहीं लग रहा कि कोई खड़ा हुआ है और उस पेड़ के पीछे से हमें ही घूर रहा है?" उसने उस तरफ इशारा करते हुए अपने दोस्तों से पूछा. जब उसके दोस्तों ने वहाँ देखा तो उन्हें भी ऐसा लगा कि कोई तो वहाँ पर मौजूद है.

उनमें से एक दोस्त बोला, "चल, देखते हैं कौन है?" और उठकर उस तरफ जाने लगा. तभी वहाँ पर उसी hotel का एक कर्मचारी आया जो उनके लिए कुछ खाने पीने का सामान लेकर आया था. उसने उस लड़के को उस तरफ जाते हुए देखा तो उसने उसे आवाज लगाई और रुकने को कहा.

वो दोस्त भी अभी कुछ दस बारह कदम ही चला था. उस कर्मचारी की आवाज सुनकर वो रुक गया और पीछे मुड़कर देखा. लड़के ने पूछा, "क्या हुआ? मुझे आवाज क्यों लगाई?" उस कर्मचारी ने तुरंत बोला, "साहब, आप उधर कहाँ जा रहे हैं?" वो काफी चिंतित लग रहा था.

लड़के ने उसी पेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा, "मुझे ऐसा लगा कि उस पेड़ के पीछे से कोई हमें ही देख रहा है, तो वही देखने जा रहा था कि कौन है?" कर्मचारी ने कहा, "आप यहीं रुके, मैं देखता हूँ," और यह कहकर वो कर्मचारी वहाँ से आगे पेड़ की तरफ जाने लगा.

अभी वो थोड़ा आगे जा ही रहा था कि अचानक चलते चलते वो रुक गया. वो उस पेड़ के करीब तो नहीं आया था, लेकिन ज्यादा दूर भी नहीं था. उसे कुछ भनक सी लगी, शायद कुछ महसूस हुआ, इसलिए उसने अपने आप को शायद रोक लिया और वहीं से उल्टे पैर दौड़कर जल्दी से उन तीनों लड़कों की तरफ आया.

उसे यूँ दौड़ते और हाँफते हुए देखकर वो तीनों लड़के उससे पूछ बैठे, "क्या हुआ? तुम भाग क्यों रहे हो?" वो लड़का थोड़ी सांस भरने के बाद बोला, "अभी अभी आप लोग यहाँ से चलो और अपने-अपने कमरे में जाकर आराम कीजिए जल्दी-जल्दी." वो पहाड़ी कर्मचारी काफी डरा हुआ लग रहा था.

पर हुआ क्या है ये तो बताओ?" उनमें से एक लड़का बोला. कर्मचारी ने कहा, "साहब, समझाने का समय नहीं है. बस हाथ जोड़ता हूँ, जल्दी यहाँ से चलो." उस कर्मचारी को इतना डरा हुआ देख उन तीनों को बहुत अजीब लगा. फिलहाल उन लोगों ने उसकी हालत देखते हुए उसकी बात मान ली.

वो लोग वहाँ से चले गए और अपने कमरे की तरफ भागे. पीछे बार बार वो कर्मचारी डर से देखते हुए जल्दी से वहाँ से भाग रहा था. सब लोग अपने कमरे में पहुँच चुके थे. वो कर्मचारी बोला, "अपने कमरे की खिड़कियाँ बंद कर दीजिए अच्छे से, दरवाज़े भी." इतना कहकर वो वहाँ से चला गया.

तीनों को कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या किया जाए. तीनों एक ही कमरे में रुके हुए थे. उनका एक दोस्त बोला, "ये कुछ भी बोलते रहते हैं, पता नहीं क्या हो गया है उसे." पर ऐसा क्या हो गया उस पेड़ के पीछे? ऐसा क्या देख लिया उसने कि वो इतना डर गया?

उन्होंने सोचा, "और हमें अपने अपने कमरे में आने के लिए कहा?" उनका एक दोस्त बोला. तभी उसका एक दोस्त खिड़की के पास आ गया और वो उस पेड़ की ओर खिड़की से होकर देखने लगा. उस लड़के ने ध्यान से देखा तो पाया अभी भी वहाँ पर कोई तो था जो बिलकुल पीछे छुपकर था.

और वो अब भी सीधा उनकी खिड़की की तरफ ही देख रहा था. ये देखकर लड़का थोड़ा सा गचक गया और डर गया. उसने अपने दोस्तों को बुलाया, "ah अरे सुनो! यहाँ पर आओ जल्दी! अभी भी हमारी खिड़की की तरफ देख रहा है!" लड़का अपने बाकी दोस्तों को बुलाते हुए कहने लगा.

बाकी दोस्त भी खिड़की के पास गए और वो लोग भी देखने लगे. उनका दोस्त बिलकुल सही कह रहा था. और वो जो कोई भी था उस पेड़ से उन्हीं तीनों को घूर रहा था. अँधेरे और दूरी की वजह से कुछ ठीक से दिखाई तो नहीं दे रहा था कि वो कौन है या कैसा दिखता है.

अभी वो आकृति या जो भी थे, पेड़ के पीछे से ही देख रहे थे. तभी अचानक ही वो उस पेड़ के पीछे से धीरे धीरे सामने आने लगे. हालांकि वो अभी भी बहुत ज्यादा दूर थे, उनकी खिड़की से तो बहुत दूर आखिरी थे. जैसे ही पेड़ के पीछे से बाहर आए, उन तीनों लड़कों ने उसे देखा.

उन्होंने देखा कि वो जो कोई भी था, वो दिख तो पूरे इंसान की तरह रहा था. हालांकि अभी भी उसका चेहरा और शरीर ठीक से दिख नहीं रहा था क्योंकि अँधेरा था. लेकिन अँधेरे में जितनी भी आकृति दिख रही थी, देखने से तो वही लग रहा था कि वो कोई इंसान ही है, या कम से कम उसका आकार इंसान जैसा है.

लेकिन सबसे अचरज की बात तो ये थी कि उसके पीछे बहुत बड़े बड़े पंख थे. और पंख काफी नुकीले set थे. वो देखकर उन तीनों दोस्तों को थोड़ा अजीब सा लगा और मन में डर पैदा हुआ. फिर वो आकृति आग थोड़ा धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी और अचानक से वो जैसे हवा में उड़ने लगी.

जैसे ही वो ऊपर उड़ी, तो थोड़ा सा प्रकाश उस आकृति के चेहरे पर पड़ा. और वो देखकर उन तीनों दोस्तों के पसीने छूट गए. वो जो कोई भी आकृति थी, वो किसी अजीब जानवर की तरह दिख रही थी. उसका भयानक चेहरा देखकर तीनों दोस्त सिहर उठे और डर से कांपने लगे.

उसके हाथ पैर शरीर सब कुछ इंसान जैसा ही था, लेकिन उसका चेहरा वो कुछ अजीब सा था. वो इंसानी चमड़ी का तो बिलकुल भी नहीं लग रहा था. उसके बड़े से दांत बहुत ही खूंखार थे और आँखें बिलकुल लाल और डरावनी सी थी. उसके हाथ में पंजे भी थे जो नुकीले दिख रहे थे.

तीनों दोस्तों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या देख रहे हैं. उन लोगों ने वो खिड़की तुरंत ही बंद कर दी और अच्छे से lock कर दिया ताकि कुछ भी अंदर ना आ सके. वो लोग जल्दी से बेड पर जाकर तीनों एक-दूसरे से दुबक कर बैठ गए, जो भी नजारा उन्होंने देखा था वो बहुत ही अजीब और भयानक था.

उन्हें लगा कि अगर उनकी खिड़की खुली रह जाती तो शायद पता नहीं क्या हो जाता. अभी वो तीनों सोच ही रहे थे और डरे हुए थे कि उन्हें उनकी खिड़की के बाहर एक अजीब सी हूँ हूँ करदी आवाज़ सुनाई देने लगी और साथ में घुराहट भी सुनाई देने लगे. मतलब की वो जो कोई भी था, वो उनकी खिड़की के एकदम पास आ चूका था.

वो तीनों दोस्त पसीने पसीने हो चुके थे और डर के मारे उनके मुँह से एक भी आवाज तलक भी नहीं निकल पा रही थी. वो एक दूसरे से एकदम डर कर कस कर पकड़े हुए थे और एकदम अपने मुँह से बिलकुल भी आवाज नहीं कर रहे थे. बस जल्दी से यही प्रार्थना कर रहे थे कि जो कोई भी बाहर है, वो उनकी खिड़की के पास से चला जाए.

उन्हें डर था कि कहीं वो उनकी खिड़की तोड़कर अंदर आ गया तो फिर इनकी खैर नहीं होगी, उनका बचना मुश्किल हो जाएगा. करीब पंद्रह से बीस minute तक वैसे ही आवाज़ आती रही और बीच बीच में ऐसे लगता रहा जैसे कोई उनकी खिड़की को खरच रहा हो, जैसे अपने पंजों से खुरच रहा हो.

लेकिन वो दिनों अपनी जगह से हिले तक नहीं और वैसे ही रात भर तीनों अपने बेड पर वैसे ही बैठे रहे डर के मारे, एक दूसरे को पकड़े हुए. वो आवाज़ जो बाहर से आ रही थी, वो अब आनी बंद हो गई थी, शायद वो creature चला गया था.

तो भी उन तीनों की हिम्मत नहीं हुई कि वो लोग खिड़की खोलकर देखें कि बाहर क्या है या वो creature गया या नहीं. बस सुबह होने का इंतजार कर रहे थे वो लोग. वो रात उनके लिए बहुत लंबी और भयानक थी और आखिर सुबह भी हो ही गयी, जिसने उन्हें राहत दी.

उन लोगों ने घड़ी में time देखा, सुबह के सात बज रहे थे. जैसे ही उन्हें लगा कि सुबह हो गई है और खतरा टल गया है, वो जल्दी से अपने room का दरवाजा खोलकर नीचे receptionist के पास गए ताकि उन्हें सारी बात बता सकें और मदद मांग सकें.

तीनों ने अपने साथ हुई घटना उस receptionist को बताई और साथ ही ये भी बताया कि उनके एक कर्मचारी ने भी उन्हें रात को जल्दी अपने कमरे में जाने को कहा था क्योंकि उसे भी कुछ अजीब महसूस हुआ था. उन्हें कल रात कुछ अजीब सा महसूस हुआ, क्या था वो?

बहुत सी चीजें थी जो उनके समझ से बाहर थी और जिसने उन्हें बहुत डरा दिया था. reception पर बैठे उस व्यक्ति ने पहले तो तीनों दोस्तों की बात पूरी सुनी और फिर उन्हें बैठने को कहा ताकि वो आराम से बात कर सकें. वो तीनों बैठे तो फिर receptionist ने उन्हें सब कुछ समझाया.

receptionist ने बताया कि दरअसल वो शक्ति, वो एक रूहानी ताकत है जो भी यहाँ आसपास ही के कस्बे की रखवाली करती है और वहीं पर घूमती-फिरती रहती है. वो यूँ तो किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते, लेकिन नए लोगों पर नजर रखती है ताकि कस्बे वाले सुरक्षित रहें.

वो नए लोगों पर इसलिए नजर रखती है कि कहीं वो लोग कस्बे वालों पर कोई नुकसान ना पहुँचाए. दरअसल बहुत साल पहले इस कस्बे में पहाड़ के लोगों ने हमला कर दिया था और बहुत से लोगों की जान गई थी उस हमले में, जिससे कस्बे वालों को बहुत हानि हुई थी.

जिसके बाद से कस्बे के लोगों ने इस रूहानी ताकत को बुलाया और आह्वान किया. ये रूहानी ताकत तब से इस कस्बे के लोगों पर नजर रखती है और फिर बाहर वालों पर भी ध्यान रखती है ताकि वो कस्बा हमेशा के लिए सुरक्षित रहे और उस पर कोई नुकसान ना पहुँचाए.

दरअसल बहुत साल पहले इस कस्बे में पहाड़ के लोगों ने हमला कर दिया था. बहुत से लोगों की जान गई जिसके बाद से कस्बे के लोगों ने इस रूहानी ताकत को बुलाया ये रूहानी ताकत इस कस्बे के लोगों पर नजर रखती है और फिर. वालों पर भी ताकि वो कस्बा हमेशा के लिए सुरक्षित रहे।

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