MP के भूतिया रास्ते पर ट्रक ड्राइवर का खौफनाक सफर | Haunted Road Story


एक कहानी

मेरा नाम Satbir है और मैं Madhya Pradesh का रहने वाला हूँ। मैं truck चलाता हूँ और कई बार रात रात भर घंटों तक कई kilometer लंबा सफर तय करता हूँ। तो जो बात अब मैं आपसे share करने वाला हूँ, ये तकरीबन चार साल पुरानी बात है, कोरोना से पहले की।

एक रात मेरी कंपनी के मैनेजर का फोन आया। एक जगह से आर्डर आया था, और माल जल्दी से जल्दी पहुँचाना था। बाकी सब ने तो उस रास्ते पर जाने से मना कर दिया।

कुछ ही truck driver जानते थे उस रास्ते को और उसमें से एक मैं भी था। जो लोग उस रास्ते के बारे में जानते थे उन्होंने माल पहुँचाने से मना कर दिया, वजह ये थी कि कई बार उनके साथ वहाँ कुछ हादसे हो चुके थे।

वो रास्ता छोटा था और माल जल्दी पहुँचाना था। मैं कई बार ऐसे खौफनाक और वीरान रास्तों से होता हुआ पहले भी गया हूँ। रात को driving का अलग ही मज़ा होता है, पर कई बार इसे रंग में भंग पड़ जाता है।

मैनेजर का phone आता है, वो मुझे इस order के बारे में बताता है। सही कहूँ तो मेरा वो माल ले के जाने का मन नहीं था, पर company के नौकर हैं, मना तो कर ही नहीं सकते थे।

अब जबकि ड्राइवरों ने उसकी बात नहीं सुनी तो वो मुझे थोड़ा मस्का भी लगाता है, "ये काम तुम जैसा driver ही कर सकता है। क्योंकि तुम company के वफादार employee हो," और भी ना जाने क्या क्या।

चलो यहाँ तक तो ठीक था पर उस सफर में मेरे साथ कोई जाने को तैयार नहीं हुआ। अक्सर रात को जब truck चलते हैं तो दो बंदे साथ में होते ही हैं, पर उस रात कोई नहीं, बस मैं अकेला हूँ।

खैर, मैं कंपनी के वेयरहाउस में पहुँचा जहाँ पर वो ट्रक लोड हो चुका था। मुझे बाकी डिटेल दी गई। उन कागजों को ट्रक में रख के मैंने ऊपर वाले का नाम लिया और चल पड़ा।

मुझे पहाड़ी रास्तों से होते हुए गुजरना था। वो बेजान पहाड़, आस-पास झाड़ियाँ, बड़े-बड़े जंगल, सूखे-सूखे पेड़ और सुनसान सा रास्ता और कुछ सन्नाटा। रात को ऐसी जगहें बहुत ज्यादा डरावनी लगती हैं। खौफ का वो मंजर ऐसा होता है कि बस यहाँ से निकल जाए।

इस जगह के बारे में कई कहानियाँ पहले से ही मशहूर थी। कई truck driver जो पहले कभी यहाँ से गुज़रे थे, उन्होंने यहाँ कुछ ना कुछ ऐसा देखा है जिसके बाद वो रात को कभी इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते।

Pravin भाई, मैं ऊपर वाले में बड़ा विश्वास रखता हूँ। daily सुबह शाम अगर मैं घर पे हूँ तो पूजा वगैरह करता हूँ। तो मुझे इन सब चीजों का इतना डर नहीं लगता। हालाँकि मैं ये भी मानता हूँ के अच्छी चीजें हैं तो बुरी भी हैं।

मैंने इससे पहले भी कई बार ऐसे रास्तों का सफर तय किया है। उन वीरानों से होते हुए कई बार रूह काँप उठती है। दूर दूर तक कोई नहीं दिखाई देता ना कोई light होती है वहाँ पे।

मैं अब ऐसे रास्ते पर था जहाँ बस मैं और मेरा truck। जितनी speed में मैं truck भगा सकता था उसे भगा रहा था। उस सुनसान विरानें में truck की आवाज़ गूँज रही थी।

रात के दो ढाई बज रहे थे। तब मैं सोच रहा था कि रास्ते में एक आबादी वाली जगह आएगी जहाँ पे एक ढाबा भी है और उसी से सटकर petrol pump। वहाँ बैठकर थोड़ा चाय वगैरह पिऊँगा और फिर निकलूँगा।

मेरा पूरा ध्यान driving पर था। मैं चलता चला जा रहा था और गुजरते वक्त के साथ वो अँधेरा सुनसान रास्ता मुझपर हावी हो रहा था। वो रास्ता ऐसा था के दिन में भी आपका कलेजा बाहर आ जाए अगर आप अकेले हैं तो। वहाँ का सन्नाटा इंसान को खा जाए।

truck की रोशनी के सिवा वहाँ कुछ नजर नहीं आ रहा था। ना मैंने इतना ध्यान दिया और तभी एक आदमी जो पता नहीं कहाँ से अचानक से सामने आ गया। मैंने हड़बड़ाते हुए ट्रक रोक दिया।

उसे देखकर थोड़ा डर लगा क्योंकि वो अजीब सी हालत में खड़ा था। सफेद कलर का शॉल ओढ़ा हुआ था उसने। मन ही मन सोच रहा था कि यहाँ तो आसपास कोई गाड़ी वगैरह भी नजर नहीं आई, ना आस-पास यहाँ लोग रहते हैं, तो ये एकदम से आया कहाँ से?

रुकते ही वो ड्राइवर वाली साइड आया। कहने लगा कि इस रास्ते से क्यों जा रहे हो? मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि उसका लहजा बहुत बदतमीजों वाला था।

बोलता क्या तुम्हें पता नहीं ये रास्ता रात को नहीं चलना चाहिए और ऊपर से तुम अकेले हो। कहता क्या अभी भी बता रहा हूँ कि आगे कुछ लोग बैठे हैं। इस रास्ते से मत जाओ।

वो ये सब कुछ आदिवासी लैंग्वेज में कह रहा था। मुझे उसकी भाषा थोड़ी-थोड़ी समझ आ रही थी। पता नहीं क्यों मुझे पागल-सा लगा। इस रास्ते पर वैसे भी कुछ ना कुछ होता रहता है तो उसकी बातों पे ज्यादा ध्यान ना देते हुए मैं आगे बढ़ चला।

मैंने तकरीबन एक घंटे का सफर और तय किया और एक काफी लंबे और सीधे रास्ते पर जब मैं था और मेरी आँखें जहाँ तक देख सकती थी, मैंने देखा। मैंने देखा कि दूर कहीं कुछ रौशनी सी हो रही है। वो देखते ही स्पीड थोड़ी कम कर ली।

अब मैं कर भी क्या सकता था? मेरे पास उस रास्ते के अलावा और कोई चारा नहीं था। अब इस वक्त मुझे डर लगने लगा। वो डर मुझ पे हावी होने लगा। मैं उस पहाड़ से नीचे की तरफ उतर रहा था। जंगलों और पहाड़ों से होते हुए जा रहा था। पहाड़ी रास्ता लगभग अब खत्म ही होने वाला था।

ट्रक की स्पीड कम करके मैं सोच रहा था कि कौन होगा वहाँ जो ऐसे इस रास्ते पे रोशनी में बैठे हैं। वहाँ काफी लोग थे। मैं अभी भी दूर था उन लोगों से। धीरे-धीरे मैं उनके करीब जाता जा रहा था। मेरी स्पीड और कम होती चली गई।

थोड़ी देर में मैं अब उस पॉइंट पे आ पहुँचा था जहाँ से वो मुझे दिखाई देने लगे। उनका हुलिया देखकर लग रहा था जैसे वो बैठे हुए हैं पर देख के ही लग रहा था कि ये लोग आम इंसान से काफी लंबे और चौड़े हैं।

उनकी पीठ मेरी तरफ थी। वो अपना मुँह नीचे करके बैठे हुए थे। आपस में कुछ बातें कर रहे थे। truck जब उनके और करीब पहुँचा तब भी उस आवाज़ सुनके वो नहीं उठे। मैंने truck का horn बजाया लेकिन उन लोगों पर कोई असर नहीं हुआ।

मैं और भी घबरा गया कि अब क्या करूँ। तभी सड़क के दूसरे किनारे से कुछ लोग मेरे truck की तरफ बढ़ने लगे। उनके हाथों में एक बड़ा सा लकड़ी का डंडा था। जैसे आपने देखा होगा कुछ गाँव में, देहातों में जो पहलवान होते हैं, उस डंडे से उसे उठा के कसरत करते हैं, वैसा कुछ।

जब वो थोड़ा और करीब पहुँचे, तो उन्होंने जो कपड़ा सर पे लिया हुआ था, उसमें मैंने उनका चेहरा देखने की कोशिश की। जहाँ मुझे चेहरा तो नज़र नहीं आया बस अँधेरा सा था मानो जैसे उस कपड़े के अंदर कोई चेहरा था ही नहीं पर फिर भी उनकी आँखे चमक रही थी।

मुझे और डर लगने लगा। वो लोग शायद गुस्से में थे। मैंने पैर accelerator पे रखा हुआ था पर मुझमें हिम्मत नहीं हुई कि ये ट्रक को आगे चलाऊँ।

ऊपर वाले का नाम ले के मैंने अपनी सारी बची-खुची हिम्मत जुटाई और ट्रक चलाना शुरू किया। मैं जितना समझ पाया था वो कोई इंसान नहीं थे। और वहाँ जैसे वो कोई पूजा कर रहे थे।

कुछ तो अभी भी नहीं उठे अपने घुटनों के बल बैठे हुए थे। मैं horn बजाता हुआ truck भगाए जा रहा था। दरवाजे अच्छे से बंद कर दिए थे, शीशे ऊपर चढ़ा लिए और मुझे लगा कि जैसे कुछ लोग मेरे truck से टकराए भी।

मैंने speed कम नहीं की। पीछे से कुछ लोगों के चीखने की चिल्लाने की आवाजें आयी थी। मेरे शरीर में बस दिल बाकी था, रूह तो बाहर निकल चुकी थी।

side वाले mirror में देखा तो कई लोग मेरा पीछा कर रहे थे। मैंने speed और तेज की। वो लोग बड़ी तेजी से भागते हुए आ रहे थे।

थोड़ी देर में मैं उस point पर आ पहुँचा जहाँ सोचा था कि थोड़ा रुक कर चलूँगा। उस petrol pump के पास एक मंदिर था, छोटा सा मंदिर। मैंने truck को सड़क के किनारे petrol pump के सामने खड़ा किया, चाबी निकाली और जा के मंदिर में बैठ गया। मैं कांप रहा था।

पीछे से कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी। मैंने मुड़ के देखा तो मेरे ट्रक की तरफ देखकर वो कुत्ते भौंक रहे थे, जैसे कि उन्होंने ट्रक पर कुछ देख लिया हो। और फिर मुझे लगा कि वो लोग यहाँ तक आ चुके हैं मेरे साथ।

मैं मंदिर में बैठ के मंत्र वगैरह पढ़ने लगा जो भी मुझे आता था वो मैं कर रहा था। मुझे लग रहा था जैसे बहुत सारे लोग मुझे देख रहे हैं। मैं कांपते कांपते वहीं एक कोने में लेट गया कि जब थोड़ी रौशनी हो तो मैं यहाँ से निकलू। बाहर अभी भी अँधेरा था।

इतने में पेट्रोल पंप वाला आता है। जो शायद वहीं काम किया करता था। उसने आते ही मुझे कहा कि वहाँ जो ट्रक खड़ा है वो तुम्हारा है? मैंने हड़बड़ाते हुए कहा हाँ हाँ, मेरा है। उसने कहा कि जल्दी चलो जल्दी बाहर आओ। वो भी कुछ घबराया हुआ था।

और मैं भी जल्दी से बाहर आता हूँ। डर भी लग रहा था कि अब क्या हुआ? उसने कहा कि ऐसा लग रहा था जैसे तुम्हारे ट्रक के पीछे की साइड कुछ लोग हैं और वो कंटेनर पर जोर-जोर से हाथ मार रहे हैं। आवाज आ रही थी।

मैंने भी देखा तो सच में ऐसा ही था के जैसे ट्रक के बैक साइड में बहुत सारे लोग हैं और जोर-शोर से उस पे हाथ मार रहे हैं। मैंने पेट्रोल पंप वालों को कहा कि कुछ करो। मेरे साथ अभी रास्ते में ऐसा-ऐसा कुछ हुआ है, ऐसी बात हुई है।

मेरी बात सुनते ही वो जो बंदा आया था वो जोर-जोर से हनुमान चालीसा बोलने लगा। वो डर भी रहा था पर रुका नहीं। मैंने गौर से देखा तो मेरे ट्रक के नीचे से कुछ टाँगे मुझे नजर आ रही थी।

ये सब देख के वहाँ पे बाकी लोग भी डर गए। ये जगह ऐसी वीरान रहती है क्योंकि यहाँ से लोग आते-जाते नहीं थे। हम लोग थोड़ी देर वहीं मंदिर पर बैठे रहे।

फिर जैसे ही रोशनी हुई मैंने truck को ध्यान से देखा तो अब कोई आवाज़ थी नहीं। हाँ लेकिन truck पर बड़े बड़े dent ज़रूर पड़े हुए थे।

मैंने truck start किया और माल की delivery जहाँ करनी थी वहाँ पहुँचा। थोड़ी देर वहीं रुक कर wait किया और manager को phone किया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है मुझे दो तीन दिन का rest चाहिए।

मैंने जब किसी दूसरे बंदे को भेजकर दूसरे रास्ते से वो truck लाने को कहा और मैं वहीं रुका रहा दो तीन दिनों तक। बुखार था और उल्टियाँ हो रही थी। वहाँ दूसरी company वाले जो लोग थे उन्होंने मुझे दवाइयाँ वगैरह दी।

थोड़ा ठीक होने के बाद घर वापस आया। वापस आके मैंने अपने manager को कहा कि चाहे लंबा रास्ता लेना पड़े वो ठीक है पर इस रास्ते से किसी को भी जाने को मत कहना।

आज भी वो बात याद करके रोंगटे खड़े हो जाते है। मैं अपने साथ वालों को भी यही कहता हूँ के थोड़ा ऊपर वाले ने ध्यान लगाए क्योंकि हमें नहीं पता कब कौनसी चीज हम पर कब्ज़ा कर ले हमारे ऊपर हमला कर दे।

वो हमें दिखाई तो नहीं देते। उनसे बचने का यही तरीका है अपने साथ ऐसी शक्तियों को साथ लेके चलो जो तुम्हारी रक्षा करे। ऐसी चीजें आपको मौका भी नहीं देती बचने का। थोड़ा ध्यान रखिए और अपना ख्याल रखिए।

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